भूपतवाला स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर आश्रम में चल रही कथा का समापन

श्रीमद् भागवत महापुराण कथा मानव जीवन कल्याण सुधा रस है श्रीमती अमीषा बेन प्रशांत भाई शुक्ला हरिद्वार (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद) भूपतवाला स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर आश्रम में चल रही कथा के समापन के अवसर पर कथा का आयोजन कराने वाले श्री प्रशांत भाई शुक्ला जो कि गुजरात से हरिद्वार की पावन धरती पर पधारे हुए हैं तथा 1200 वृद्ध विकलांग गायों को संरक्षित कर रहे हैं उनका पालन पोषण कर रहे हैं उन्हें पुनीत फल प्रदान करने के उद्देश्य से अमीषा बेन प्रशांत भाई शुक्ला ने श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन कराकर लगभग 1000 लोगों को गुजरात से हरिद्वार की धरती पर लाकर उनका मानव जीवन सार्थक कर दिया उनका लोक एवं परलोक दोनों सुधार दिये श्रीमती अमीषा बेन प्रशांत भाई शुक्ला ने हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद को बताया की भारतीय संस्कृति में धार्मिक ग्रंथों का विशेष स्थान है। वेद, उपनिषद, गीता और पुराण मानव जीवन को धर्म, नीति और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। इन्हीं में से एक महान ग्रंथ है श्रीमद्भागवत महापुराण। इसे पुराणों का श्रेष्ठतम ग्रंथ माना गया है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का अत्यंत मधुर और हृदयस्पर्शी वर्णन मिलता है। श्रीमद्भागवत महापुराण का महत्व श्रीमद्भागवत अठारह पुराणों में प्रमुख है। इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुल बारह स्कंध और अठारह हज़ार श्लोक हैं। इसमें भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का अद्भुत संगम मिलता है। इसका मुख्य उद्देश्य है भगवान की भक्ति का महात्म्य बताना। मानव जीवन को सत्य, अहिंसा और सदाचार की ओर प्रेरित करना।
मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाना।
श्रीमद्भागवत कथा का वर्णन
कथा का आधार है– भगवान श्रीकृष्ण की बाल्य, किशोर और युवावस्था की दिव्य लीलाएँ।
प्रारंभिक स्कंध – इसमें सृष्टि की उत्पत्ति और भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन है।
प्रह्लाद चरित्र – भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु की कथा से भक्ति की शक्ति का बोध होता है।
कपिल गीता – भगवान कपिल मुनि द्वारा सांख्य योग का उपदेश दिया गया है।
ध्रुव चरित्र – ध्रुव की कठोर तपस्या और भगवान विष्णु से प्राप्त वरदान का वर्णन।
अमृत मंथन और वामनावतार – देवासुर युद्ध और भगवान के अवतारों का विस्तार से वर्णन।
कृष्ण जन्म और लीलाएँ – श्रीकृष्ण का जन्म, पूतना वध, कालिय नाग मर्दन, गोवर्धन धारण, गोकुल- वृंदावन की रासलीलाएँ कथा का मुख्य आकर्षण हैं।
कंस वध और कुरुक्षेत्र प्रसंग – धर्म की विजय और अधर्म का नाश।
उद्धव-गीता – जीवन के अंतिम चरण में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश।
श्रीमद्भागवत कथा का महत्व और प्रभाव यह कथा सुनने और सुनाने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं।
इसमें भक्ति को सर्वोपरि बताया गया है, जिससे जीव को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।
कथा समाज में नैतिकता, एकता और धार्मिकता का संदेश देती है।
इसे सुनकर मन में शांति, श्रद्धा और प्रेम का संचार होता है।
श्रीमद्भागवत केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला दिव्य ग्रंथ है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ मनुष्य को भक्ति, प्रेम और सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। जो व्यक्ति निष्ठापूर्वक श्रीमद्भागवत कथा सुनता है, उसके जीवन में भक्ति, शांति और आनंद का संचार होता है। श्रीमद् भागवत महापुराण सभी ग्रंथों का सार है तथा मानव जीवन कल्याण सुधा रस है दूर से भी कान में सुनने मात्र से मनुष्य का जीवन धन्य तथा सार्थक हो जाता है